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मैं परेशान अपने हालातों से नहीं खयालातों से हूं मै

मैं परेशान अपने हालातों से नहीं खयालातों से हूं
मैं परेशान मुखालिफों की बातों से नहीं खुद के जज्बातों से हूं
मैं परेशान एहसासों से नहीं मन में पनप रहे सवालातों से हूं
हां माॅरिश मैं परेशान हूं
हां हां मैं परेशान हूं
मैं 
मैं परेशान इंसानों से नहीं उनकी जातों से हूं
मैं परेशान गमों से नहीं मन में बढ़ते सन्नाटों से हूं
मैं आजाद परिंदे की तरह उड़ना चाहता हूं हवाओं में तैरना चाहता हूं
जो कब बाज की आगोश में दम तोड़ देगा नहीं जानता
फिर भी वो खुली हवा में बेखौफ जी रहा है
बेरहम जहां की हकीकतों से महरूम है वो
बस मसरूफ है खुले आसमानों में
अपने दिल के जहानों में
और मैं यहां परेशान हूं परेशान हूं बस परेशान हूं

मुखालिफों-विरोधियों
बेदम शायर आयुष कुमार गौतम की कलम से मैं परेशान हूं परेशान हूं बस परेशान हूं
मैं परेशान अपने हालातों से नहीं खयालातों से हूं
मैं परेशान मुखालिफों की बातों से नहीं खुद के जज्बातों से हूं
मैं परेशान एहसासों से नहीं मन में पनप रहे सवालातों से हूं
हां माॅरिश मैं परेशान हूं
हां हां मैं परेशान हूं
मैं 
मैं परेशान इंसानों से नहीं उनकी जातों से हूं
मैं परेशान गमों से नहीं मन में बढ़ते सन्नाटों से हूं
मैं आजाद परिंदे की तरह उड़ना चाहता हूं हवाओं में तैरना चाहता हूं
जो कब बाज की आगोश में दम तोड़ देगा नहीं जानता
फिर भी वो खुली हवा में बेखौफ जी रहा है
बेरहम जहां की हकीकतों से महरूम है वो
बस मसरूफ है खुले आसमानों में
अपने दिल के जहानों में
और मैं यहां परेशान हूं परेशान हूं बस परेशान हूं

मुखालिफों-विरोधियों
बेदम शायर आयुष कुमार गौतम की कलम से मैं परेशान हूं परेशान हूं बस परेशान हूं