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कोयल आज सुना कर जाना प्रेम का राग सुहाना... आम पे

कोयल आज सुना कर जाना प्रेम का राग सुहाना...

आम पेड़ के सभी बौर से भरे हुए हैं देखो
कोमल पात बाद पतझड़ के हरे हुए हैं देखो
नहीं चलेगा मौसम का अब कोई नया बहाना
कोयल आज सुना कर जाना प्रेम का राग सुहाना...

मोर बाग में नाच रहा है बारिश की रिमझिम पर
और पपीहा साथ दे रहा पी-पी की सरगम पर
बिन कुहू पर जमे न महफ़िल न ही सजे तराना
कोयल आज सुना कर जाना प्रेम का राग सुहाना...

ताल में बाल-गोपाल नहाएँ और नदी में सखियाँ
सावन की रिमझिम में तुझ को ढूंढ रहीं सब अखियाँ
मीठे सुर के गीत को कब से तरस रहा है ज़माना
कोयल आज सुना कर जाना प्रेम का राग सुहाना...

क्यों न बनातीं कभी घोंसला कागा को ठगती हो
बाल तुम्हारे दूजे पालें ऐसा क्यों करती हो
हमें सुनाओ मधुर कंठ से अपने दिल का फ़साना
कोयल आज सुना कर जाना प्रेम का राग सुहाना...

©Manjeet Sharma 'Meera'
  #Nightlight कोयल आज

#Nightlight कोयल आज #कविता

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