आ जाओ ठान लें हम, वीरों की शहादत खाली ना जानें पाएं। अंगार बनकर कूद पड़े हम, दुश्मन ना वापस जानें पाएं।। आजाद, बिस्मिल, अशफ़ाक उल्ला सब हमारे दिलों की धड़कन हैं। इनसे मिलती सीख हमें, सुभाष, भगत, सुखदेव हिन्द का सरहद हैं।। दुश्मनों तुम सुन लो, ना भेद सकोगें कभी तुम हमको कोई भी रण में। हर भारतीय हैं राणा प्रताप, लक्ष्मी बाई सम खड़ी मिलेंगी रण में।। दुश्मनों हमको कमज़ोर ना समझो, हम ईंट का जवाब पत्थर से देते हैं। कर अपनी मिट्टी का तिलक, हम उसको उसकी भाषा में समझा देते हैं।। कश्मीर हो या हो गलवान की घाटी, पूरा नेह मुल्क हमारा हैं। कभी ना इस पर अपना हक जमाना, वरना पूरा विश्व हमारा हैं।। हैं मातृ भूमि की कसम, अपनी मां का हर कर्ज़ चुका देंगे। गर करोगें रण की शुरुवात तुम, अंजाम तक हम पहुंचा देंगे।। 🎀 विशेष प्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ 🇮🇳 स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🇮🇳 🎀 10 से 12 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। 🎀 रचना केवल वीर रस में लिखी होनी चाहिए। 🎀 रचना में कम से कम 5 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम हों। 🎀 समूह की मुख्य प्रतियोगिता और कोलाब प्रतियोगिता में भाग लेना अनिवार्य है।