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White गज़ल ***************************************

White गज़ल
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अब पहले जैसा मेरे दिल को कोई दुखाता तो नहीं है।
आती जातीं हैं शामें, पर कोई आता जाता तो नहीं है।

बोझ जिंदगी की अपने सर पर लिए ढो रहा हूं मैं भी,
मतलबी दुनिया में कोई दिल को बहलाता तो नहीं है।

हारकर यह जिंदगी रोज़ जाने कहां वह खो जाती है?
ग़म- ए-हालात आसानी से अब ढल पाता तो नहीं है।

आईना देखकर तसल्ली ना हुई तो मैंने तुमको देखा,
वही सूरत इन आंखों में अब नज़र आता तो नहीं है।

सिसकियां भर भर कर अब रातों को गुजार देता हूं,
थपकियां  दे देकर मुझको कोई सुलाता तो नहीं है।

एक मुद्दत थी ख्यालों का अब वह भी गुजर गया है,
कमबख़्त इश्क़े आग सीने में जला पाता तो नहीं है।

कभी पास से गुजरा तो जन्नत ए बहार भी मिलेगी,
सज़ा यही है कि कोई खुद में उतर पाता तो नहीं है।

बेफिक्र होके आज भी मैं फिर गुमनाम हो जाता हूं,
अब कोई ख्वाब मुझको रातों में जगाता तो नहीं है।
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---राजेश कुमार 
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)
दिनांक:-19/06/2024

©Rajesh Kumar
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