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लाओ गोह दूं तुम्हारी चोटी, जरा मेरे पास तो बैठो। प

लाओ गोह दूं तुम्हारी चोटी,
जरा मेरे पास तो बैठो।
पकड़ अपने हाथों में शीशा,
सर का पल्लू अपने कंधे पे समेटो।

सुनाओ हाल दिल का,
गुजरा कैसा तुम्हारा दिन कल का।
कितना किया याद हमें,दी कितनी थी 
मुस्कराहट अपने चेहरे पर झलका।

था जैसा कल आज भी मौसम सुहाना है,
आता पसंद बहुत मुझे देख,
तुम्हारे चेहरे का मुस्कुराना है।

कुछ बोल भी दो, हम बोलते जा रहे हैं,
चुप रहकर न हमारे सब्र को अमेठो।
लाओ गोह दूं तुम्हारी चोटी,
जरा मेरे पास तो बैठो।

©Ravindra Singh
  लाओ गोह दूं तुम्हारी चोटी

लाओ गोह दूं तुम्हारी चोटी #Poetry

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