एक दिन मुझे भगवान मिले, मैंने सोचा , मेरी तो लॉटरी निकल गई... दिखने लगा एक मंच विशाल... मूरख जनता लिए हाथों में थाल... मेरी आरती उतारी गई, भेंट मुझपर चढ़ाई गई... जनता सारी उमड़ रही थी.. मेरी चरणरज को तरस रही थी... जन हड़कंप इतना विशाल हुआ... मंच का भूकम्प जैसा हाल हुआ... मंच टूटा, कमर टूटी, टूटा मेरा ध्यान... सामने खड़े थे वही भगवान... बोले , कहाँ खो गए वत्स, मांगो एक वरदान.. भगवान का ध्यान न रहा.. वरदान का ध्यान न रहा.. मैंने कहा, प्रभु करो शीघ्र एक मंच निर्माण.. भगवान हुए प्रसन्न, वरदान था आसान.. तथास्तु कह हुए अंतर्ध्यान.. बना गए छोटी सी मचान। #yqdidi #yqdidichallenge #humour #एकदिन #व्यंग्य #sahityiksatsang