सिर्फ जिस्म मिल जाने से इश्क नहीं होता । रूह का मिलना भी तो जरूरी है... हर बात इशारों में हो ये काफी नहीं होता । इजहार ए इश्क भी तो जरूरी है.. तेरी आंखों में नूर हो ये काफी नहीं होता । थोड़ा सा काजल भी तो जरूरी है.. सिर्फ "काफ़िया" मिल देने से गजल नहीं होती । दिल का मिलना भी तो जरूरी है... सिर्फ जिस्म मिल जाने से इश्क नहीं होता । रूह का मिलना भी तो जरूरी है... हर बात इशारों में हो ये काफी नहीं होता । इजहार ए इश्क भी तो जरूरी है.. तेरी आंखों में नूर हो ये काफी नहीं होता । थोड़ा सा काजल भी तो जरूरी है..