ऐसी शमा जलाओ तुम, चारो ओर हो उजियारा, सारा जग लगे ये प्यारा, सबका बस एक हो नारा, कंही ना हो बुराई, चंहु ओर हो अच्छाई । कोई बड़ा ना कोई हो छोटा, कोई खरा ना हो कोई छोटा, कोई अमीर ना कोई गरीब हो, गम, खुशी सब मे सब शरीक हो, कोई उन्च ना कोई नीच हो, सबकी इक-सी सीन्च हो। पढी लिखी हो दुनिया सारी, खुश हो हर नर हर नारी, सब मे हो समझदारी, सब मे हो ईमानदारी। कन्ही ना हो मारामारी, कोई ना दे किसी को गारी, प्यार हो सब ओर, खुशी मे बदले गमो के शोर। कंही ना कोई बीमार हो, खुशी की बहार हो, सबकी इक-सी हो धारणा, ना हो किसी को मारना । ये धरती बन जाए स्वर्ग, भुल जाए यंहा सब नर्क, शमा जलाओ ।