ना कभी लाती हूँ ज़ुबा पर जज्बात अपने दिल की की मै पन्नों पर लिखकर उसे फाड़ दिया करती हूँ ना कभी पहुँच सके मेरे मन की व्यथा तेरे मन तक की मै सभी फ़ासलों की सूरते मिटा दिया करती हूँ । #surate#faasalaa# jazbaat