मिल जाना यूँ ही की ये दिल अब जोर से धडकता है कमबख्त दिल है ना कहाँ किसी की सुनता है दिख जाना यूँ ही जैसे दिख गयी थी उस दिन मैं देखना चाहता था तुम्हे एकटक पर तेरी जुल्फों ने पलकों को झपका सा दिया बस जाना यूँ ही मेरे रोम रोम में फिर से मैं तस्वीर बनाना चाहता था तुम्हारा पर तुमने शर्मा कर अपना सिर ही झुका लिया आ जाना यूँ ही मेरे ख्यालो में भी की नींद अब आती कहाँ है तुम्हारी याद ने तो सोना भुला दिया मिल जाना यूँ ही की ये दिल अब जोर से धडकता है कमबख्त दिल है ना कहाँ किसी की सुनता है— अभिषेक राजहंस