White दो पल की मोहब्बत के लिए, ठुकराया जिन्होंने अपना घर बार..! बनता भविष्य बिगड़ता दिखा, ज़िन्दगी हुई बेहद लाचार..! सँभले न वो लड़खड़ाते रहे, सुख जीवन से हुआ फ़रार..! मारा मारा दिल फ़िरे आवारा, ढूँढता ख़्वाहिशों का अंबार..! टूटे बिखरे दिल के मकाँ को, सँजोने फिर से यूँ एक बार..! जो ख़त्म करे ज़ालिम जन्मों की, बिछ्ड़ी पिछड़ी कहावतें चार..! मन के किले को मजबूती देकर, सुर्ख़ियों में छाने को बेक़रार..! नए दौर की दिल्लगी दर्पण जैसी, सामने कुछ पीछे तुच्छ इश्क़ की सरकार..! ©SHIVA KANT(Shayar) #Dopalkimohabbat