सुनो ना! तुम मुझसे मुख़्तलिफ़ ना रहा करो तकाज़े से पहले थोड़ा वक़्त कभी पेशगी भी दिया करो! चाहत में दुश्वारियाँ ही बहुत हैं आज़माने को मुझे यार! तुम सख्ती करके ना और घाव दिया करो! पहले ही आज़माइशों में कमजोर हुआ है दिल, रूठकर तुम ना घाव पर पर ना घात दिया करो! कभी मेरी देहरी पर बिन बुलाए चले आया करो कभी कभी मुझे ऐसे भी आश्चर्यचकित किया करो! ♥️ Challenge-697 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।