अमीरी हुस्न में उसके, अदा भी खूब निराली है ; निगाहें कातिलाना, होंठ का तिल भी सवाली है । बिखेरे जुल्फें जब अपनी, अचानक शाम हो जाये ; शराफत क्या कहूं उसकी, शरारत भी खयाली है ।। ©RISHI SHUKLA अमीरी हुस्न में उसके, अदा भी खूब निराली है ... #rishishukla #SAD बेबाक कन्नौज