हाँ, ज़िन्दगी मेरी थोड़ी बेरंग सी लगती है, थोड़ी उदासी थोड़ी ख़ामोशी और थोड़ी बेतरतीब भी है। कभी तस्सली से शामें निकल करीब आना, थोड़ा देखना, थोड़ा सुनना और थोड़ा सुनाना। शायद थोड़ी संज़ीदगी और बचपन की चहक हो, शायद कैरी का खट्टापन और चाय की महक हो, एक बेवकूफी भरे ख़्वाबों की लरियां मिलेंगी, और टटोलना तो बचपन के कहानियों की परियां भी मिलेंगी, ठहर गये कुछ और देर तो कुछ अनकहे किस्से भी मिल जाये, थोड़ा प्यार और अपनेपन से ढूंढा तो धूल पड़ी डायरी के पन्ने भी मिल जाये। अगर बेबाकी ज्यादा हो जाये तो तुम्हे अपना समझ के मेरा मशरूफ होना समझना, और अगर हो जाये ख़ामोशी कुछ देर की तो लम्हे का सुकून समझना, कुछ किस्से सुनकर कभी हँसना और मुझे हँसते हुए गिरने से सम्भाल लेना, अगर ग़मगीन हो कहानियां तो भी सुनकर बस मुस्कुरा देना। शायद से फुर्सत से समय निकाल ठहरने या फिर मिलने का मन बन जाये, शायद से इस बेरंग ज़िन्दगी में इंद्रधनुष के कुछ रंग मिल जाये। #rang #berang #kisse #kahaniyan #poem #latenight #nojoto