#OpenPoetry तेरी कातिल निगाहों से कत्ल होने तेरी इश्क़ की रियासत में आ गया हूं मैं। मेरे दिल को कत्ल करके इसे मोहब्बत के ताबूत में दफना दो। तेरी इश्क़ ए सल्तनत के तख्तो ताज को अपना बनाने आ गया हूं मै। कैद कर लेना मुझे मोहब्बत की सलाखों में डाल देना। रिहा हो ना सकु कभी अपनी धड़कनों का पहरा मेरे दिल पर लगा देना। मेरी चाहतों के सदके तुझे अपना खुदा बनाने आ गया हूं मैं। तेरी कातिल निगाहों से कत्ल होने तेरी इश्क़ की सल्तनत में आ गया हूं मैं। ************ K S Ujjain