अर्ज यू अरु, ने नब्ज यो फरमाई। मंजिल तेरे रही गालिब। हमारी तो चलना ही मंजिल रही। में रुख जाओ तो मंजिल रुख जाए। महफिल सजती रही गालिब । हम खुट महफिल जमाते रहे। बजाते सकते रही हर कोई की गालिब हमारी तो चलते रहे । बस चलना हमारा काम है। © pk Arun Kumare Daware अर्ज यू अरु, ने नब्ज यो फरमाई। मंजिल तेरे रही गालिब। हमारी तो चलना ही मंजिल रही। में रुख जाओ तो मंजिल रुख जाए। महफिल सजती रही गालिब । हम खुट महफिल जमाते रहे। बजाते सकते रही हर कोई की गालिब हमारी तो चलते रहे ।