इंतजार है, उस सुकून का जो रोज,"मैं" दिल से चाहती हूँ थकी नहीं हूँ इस सफ़र से बस थोड़ा वक़्त ओर मांगती हूँ दिल ने ठाना, तो करना तय है, मुश्किलों से भी लड़ना जानती हूँ हार कर रुक कैसे सकती हूँ मैं ?? अपनी उड़ान बखूबी पहचानती हूँ चाहत नहीं किसी के साथ की मुझे जब अपना सब, खुद को मानती हूँ आयने के सामने बातें रोज होती, बातों का अर्थ, खुद से मिल आती हूँ लिखूँगी, तो एक किस्सा फ़िर आ जाएगा छोडो अभी,फ़िर कल समझाती हूँ इंतजार है उस सुकून का जो रोज,"मैं" दिल से चाहती हूँ ©WRITER AKSHITA JANGID #standout #motivated #selfmotivation #lovelife #poetry #gazal #hindiwriting #nojotowriting #writer