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जीने दो हमको मरते अब याद न करो तुम, जीने दो हमको

जीने दो हमको मरते 

अब याद न करो तुम, जीने दो हमको मरते
तुम याद जब हो करती, अरमान सोए जगते

वैसे न भूलूंगा मैं,    जब तक रहेगा जीवन
मशरूफ होके कुछ पल, भूले मगर तुझे  मन 
कंकड़ से मार पानी, क्यों लहरें पैदा करते
तुम..

उस राह में चलो तुम, जो है नया, सुहाना 
स्वागत में वो भी ताना, पलकों का शामियाना 
छोड़ो हमें है हम तो,   एक आफ़ताब ढलते 
तुम..

जैसा किया करेगा,   मन प्रार्थना सदा ही
"पाँवो चुभे न उसके  ,कांटे    प्रभु कभी भी"
हो के रहेगा ऐसा, हम दावा करके कहते
तुम..

©प्रभात शर्मा
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