इश्क़ की गजल आसमां पर लिख दूं , ताकी हर बादल पढ़ता हुआ गुजरे बरसे जमीं पर जब वो बारिश बनकर तो साथ बरसे मेरे शेऱ के मिसरे । (लोकेंद्र की कलम से) #लोकेंद्र की कलम से