White महज सुनते रहे धड़कनों को, कुछ समझ न पाए, शब्दों की चुप्पी में छिपे अर्थ, कभी सुलझ न पाए। दिल की बातें दिल तक ही रहीं, लफ्ज़ों ने रास्ता खो दिया, जुबां खामोश थी लेकिन, आंखों ने सब कुछ कह दिया। समझना तो चाहा हमने, पर खुद को समझ न पाए, महज सुनते रहे धड़कनों को, और खुद में ही खो गए। वक्त की परछाई में बंधे, सपनों को छूने चले थे, धड़कनों की धुन सुनते-सुनते, रास्ते भटक गए थे। अब धड़कनों की गूंज है बस, कानों में गूंजती रहती है, पर क्या कह रही है ये धड़कन, अब भी समझ न आती है। ©aditi the writer #karwachouth आगाज़ @it's_ficklymoonlight