सड़क किनारे खड़ा गुब्बारे वाला, कोई लाल, कोई हरा, तो कोई नीला! मन में उमंगे हजार लाखों विचार, क़मीज फटी सी पायजामा ढीला!! पूछा जाकर मैनें कितना कमा लेते हो आँखे हो गई नम कण्ठ हो गया गीला! सड़क किनारे खड़ा गुब्बारे वाला, कोई लाल, कोई हरा, तो कोई नीला! मन में उमंगे हजार लाखों विचार, क़मीज फटी सी पायजामा ढीला!! पूछा जाकर मैनें कितना कमा लेते हो आँखे हो गई नम कण्ठ हो गया गीला!! . जय कुमार