है जीवन का उचित का व्यापार यही। या प्रतिकार करो, या स्वीकार करो। घबराते क्यों हो, क्या हो गया दिवस के ढलने। क्यों? रूक जाओगे अंगार पर चलने से। किंचित दुविधाओं का भंवर जाल अब तोड़ोगे। यह रणभूमि है पार्थ, अब तो प्रबल प्रहार करो।। तज दो मुक्ता मणि की शोभित माला। संधान करो हे वीर अति तीक्ष्ण सा भाला। डरो नहीं हे पार्थ, तेरा सारथी है मुरली बाला। रणभूमि के नियमों में बंध पी लो करवा प्याला। करो कर्म जो उचित अभी, क्यों नियमों को जोड़ोगे। छल की अँधियारी रातों को तार-तार करो।। कहो पार्थ भीषण रण है, अपनों का मोह करोगे। कुरुक्षेत्र के नियमों का तुम फिर द्रोह करोगे। छल से फेंके गए पाँसा का उत्तर बाकी देना बचा हुआ। अपमानित भरे उन घावों से तुम विद्रोह करोगे। गांडीव उठाओ हे पार्थ, क्यों क्षत्रिय नियम को छोड़ोगे। आज सामने जो है, उससे वीरोचीत व्यवहार करो।। आज मुक्त हो कर रण में पार्थ शौर्य ध्वजा पहराओ। किंचित दुविधाओं की माला उतार फेंक अब पाओ। आर कुरुक्षेत्र कौरव ने बांधा, तुम रथ का गति बताओ। शूरवीर रण के होकर तुम, पार्थ अब गांडीव उठाओ। अभी क्यों चिन्तित होते हो ,तोड़े हुए से क्या जोड़ोगे। सत्य धर्म की रक्षा को रणभूमि शोणित धार करो।। है जीवन मुक्त नहीं, है पथ कर्तव्य निर्धारित पहले से। किंचित प्रतिकार करोगे, डर जाओगे खुद के भय से। यह स्वीकार तो करना होगा, आते हुए समय से। वह प्रतिशोध की ज्वाला बुझ पाएगा रण जय से। अहो पार्थ, कुरु कूल की मर्यादा से मुख क्यों मोड़ोगे। कुरुक्षेत्र का नियम यही, हे पार्थ कौरव का संहार करो।। ©Madanmohan Thakur (मैत्रेय) जीवन भी रणभूमि है #कुरूक्षेत्र ANURAG SINGH Amaanat S C Tiwari