क़दम.. क्यूं लगाते हो इस पैरों में बंदिशें जिससे कदम रुक जाते हैं; हे सज्जन! बढ़ने दे इन कदमों को , चढ़ने दे ऊंचाइयों पर.. काफ़ी संघर्ष करना पड़ता है इन नंगे पावों को, इसे भी जूते/जूतियों की चाहत पूरी करने दे। चढ़ने दे... बढ़ने दे... स्त्रियों और पुरुषों के कदमों में फर्क न कर.. दोनों को क़दम से क़दम मिला के आगे बढ़ने दे। इन कदमों को क्या पता की ये पुरुषों के हैं या स्त्रियों के... इसे तो सिर्फ आगे बढ़ना है, काफी अनुभवों को संजोए हुए। हम इंसानों द्वारा इसे फर्क ना करने दे। इसे आगे बढ़ने दे।। अपने कदमों की नई राह बनाने दे। मंजिल तो मिल ही जायेगी, राहों में मिलने वाली खुशियों को समेटने दे। जिंदगी के साथ कदम से क़दम मिलाने दे। इसे आगे बढ़ने दे। न हो गर पैर तो हिम्मत न हार; हो सब गैर तू हिम्मत न हार; ले मदद काठ पुर्जों की, रगड़ता चल... तू बढ़ता चल, तू चलता चल................_Merilekhni ©Beauty Kumari #hindikavita #hindipoem #क़दम #hindipoerty #youandme