महंगे महंगे भवन बना दिए बेशकीमती चीजों से सजा दिया इंसान ने भी क्या खूब आडंबर रचा ईश्वर को सोने का बना दिया सोने के छत्र बना दिए सोने की दीवारें चढ़ा दी त्याग दी थी सोने की लंका महादेव ने श्री राम ने महल त्याग दिया था कुबेर ने पुष्पक विमान त्याग दिया था वह तो मिलता है नन्हे बालक की मुस्कान में वह तो मिलता है प्रातः काल सूर्य की किरणों में वह मिलता है शीतल झरने के संगीत में वह मिलता है कोयल की कूक में मयूर के नृत्य में किसी प्रियसी के हृदय में अंकुरित हुए प्रेम में वह मिलता है प्रेम में परोपकार में दया में नदी के कल कल छल छल करती वेग में मौन खड़े पहाड़ों के ध्यान में