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इश्क़ की राह पर चलते रहे हम, कभी गिरते कभी संभलते

 इश्क़ की राह पर चलते रहे हम,
कभी गिरते कभी संभलते रहे हम..!

वो अनजान मुसाफ़िर कब घर कर गया,
मेरे दिल में अपना पता ही न चला..!

कभी सूरज की तरह चुभने वाले,
चाँद की तरह अब निकलते रहे हम..!

सितारों से सजी ज़िन्दगी मिली,
उजाले को पहले तरसते रहे हम..!

अब मिला है साथ जैसे ख़ुद के साये का,
मोहब्बत में बारिश बन बरसते रहे हम..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #sadak #woanjanmusafir