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चन्द गलतफहमियों में मैंने अपने रिश्ते को बनते - बि

चन्द गलतफहमियों में मैंने अपने रिश्ते को बनते - बिगड़ते देखा,
वहम टूट गया जब एक तिल्ली को तिल्ली से जलते देखा।।।
आँखो मे खो जाना और बाहों में भर लेना सब फलसफे बेकार है,
अब पता चला की प्यार में
 एक दूसरे से जल 
जाना ही तो प्यार है।।

हितेश यादव समझ प्यार की -------
poetry by hitesh yadav
चन्द गलतफहमियों में मैंने अपने रिश्ते को बनते - बिगड़ते देखा,
वहम टूट गया जब एक तिल्ली को तिल्ली से जलते देखा।।।
आँखो मे खो जाना और बाहों में भर लेना सब फलसफे बेकार है,
अब पता चला की प्यार में
 एक दूसरे से जल 
जाना ही तो प्यार है।।

हितेश यादव समझ प्यार की -------
poetry by hitesh yadav