अश्क ,यादें दर्द-ए-दिल देकर गया, दिल लिया लेकर कहाँ दिलबर गया ? थक चुकी हूँ ढूंढ कर दर दर उसे, किस गली में जाने वो रहबर गया । मिल गया था राह चलते एक दिन, अज़नबी था हमसफ़र बनकर गया। आसरे पर जिसकी मैं बैठी रही, बेसहारा देखिए वो कर गया । अश्क की बरसात थमती ही नहीं, आँख में कैसा समंदर भर गया। पात झरते जा रहे हैं पेड़ से, आप कैसे कह रहे पतझर गया। एक तो है ज़िंदगी गम से भरी, दूसरा ग़म प्यार का देकर गया। अनसुनी थी दास्ताँ उल्फ़त के जो, हर फ़साना आज वो कहकर गया। टूट कर बिखर हुई हूँ आज मैं, बेवफाई इस तरह से कर गया। कर गया रुसवा सरे बाजार वो, दर्द दिल मे ढेर सारा भर गया। वाकई में वो बहुत हुशियार है, इक अदा से वश में सबको कर गया। ख़ूब तूने दीं दवाएं चारागर, ज़ख़्म सीने में हजारों धर गया। ................. #my ghazal#दिल लियालेकर गया# #नोजोटो हिंदी#