मौत मुअय्यन इश्क़ अधूरा एक है आधा एक है पूरा कैसी है ये अजब कहानी सच है लेकिन है बेमानी या रब तेरी यही है रहमत हम भी माने इसे क्या किस्मत एक अजब से चलन यहां है रुके पाँव में थकन यहां है कंधे जिसके बोझ से भरी किसी ने देखी न लाचारी कोई अपना सगा नहीं था निजाम ने जिसको ठगा नही था बंद करो अब गोरखधंधा राजनीति का नाच ये नंगा माना अब बेबस जनता है इनको न्याय भी बनता है #माधवेन्द्र फैजाबादी