Nojoto: Largest Storytelling Platform

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- अजोSपि सन्नव्ययात्मा भ

भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं-

अजोSपि सन्नव्ययात्मा 
भूतानामीश्र्वरोSपि सन् |
प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय 
सम्भवाम्यात्ममायया || ६ ||
{SrimadBhagwadgeeta 4.6}

यद्यपि मैं अजन्मा तथा अविनाशी हूँ 
और यद्यपि मैं समस्त जीवों का ईश्वर हूँ, 
तो भी प्रत्येक युग में मैं 
प्रकृति को अपने अधीन करके 
अपनी आत्ममाया अर्थात् 
अंतरंगा शक्ति द्वारा अपने 
आदि दिव्य रूप में प्रकट होता हूँ |

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं-

अजोSपि सन्नव्ययात्मा 
भूतानामीश्र्वरोSपि सन् |
प्रकृतिं स्वामधिष्ठाय 
सम्भवाम्यात्ममायया || ६ ||
{SrimadBhagwadgeeta 4.6}

यद्यपि मैं अजन्मा तथा अविनाशी हूँ 
और यद्यपि मैं समस्त जीवों का ईश्वर हूँ, 
तो भी प्रत्येक युग में मैं 
प्रकृति को अपने अधीन करके 
अपनी आत्ममाया अर्थात् 
अंतरंगा शक्ति द्वारा अपने 
आदि दिव्य रूप में प्रकट होता हूँ |

जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ