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कर रहे मक्कषत जी तोड़ यहाँ फिर भी कई भूखे नंगे हैं

कर रहे मक्कषत जी तोड़ यहाँ
फिर भी कई भूखे नंगे हैं
कोई नोचता नयनों से चेहरे को
यह रोजमर्रे के धंधे हैं
फिदरत नहीं बदलेंगे हम
कभी सोचा क्या सब अंधे हैं

©Anushi Ka Pitara #सोच #सोच_बदलो_देश_बदलो 

#SAD
कर रहे मक्कषत जी तोड़ यहाँ
फिर भी कई भूखे नंगे हैं
कोई नोचता नयनों से चेहरे को
यह रोजमर्रे के धंधे हैं
फिदरत नहीं बदलेंगे हम
कभी सोचा क्या सब अंधे हैं

©Anushi Ka Pitara #सोच #सोच_बदलो_देश_बदलो 

#SAD