सूरत और सीरत ~~~~~~~~~~ ( चौपाई ) *** जन्म दिया जब मात-पिता ने। सूरत पाई सुंदर सबने।। पुत्र सुता की सूरत पाकर। भरी खुशी से माँ जी भरकर।। ( कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें ) @ गोपाल 'सौम्य सरल' मुख देख सलौना कुल हरसा। यश वैभव का आशिष बरसा।। परिजन सारे गोद झुलाएं। बाल रूप से खेल हँसाएं।। फर्ज निभाया मात-पिता ने। करके सब कुछ बस का अपने।। बड़ा किया फिर पोषण कर कर। वार मनौती सब देवों पर।। कर दूर सभी संकट छाया। पढ़ा लिखा कर योग्य बनाया।। बहा पसीना सीरत डाली। गेह खेत की कर रखवाली।। दूर रखे गुण सारे काले। राम किशन के सदगुण डाले।। कुल दीपक का सार बताया। सद सीरत का मान बढ़ाया।। क्या होती मर्यादा घर की। आन रखे बेटी चौखट की।। पाल सुता सीता सी सूरत। दे डाली गौरव की मूरत।। हो सूरत हम सबकी प्यारी। जैसे हो सद सीरत क्यारी।। बिन सद सीरत सबकी सूरत। होती है शैतानी मूरत।। कहना है अब मात-पिता का। रखना सूरत को कर 'मनका'।। सीरत बिगड़े सूरत बिगड़े। खूब सहोगे सब फिर झगड़े।। @ गोपाल 'सौम्य सरल' [ चौपाई: २४/०५/२०२२ ]~ ~~~~~~~~~~~~~~ सूरत और सीरत ~~~~~~~~~ जन्म दिया जब मात-पिता ने। सूरत पाई सुंदर सबने।।