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आखिर क्यों !! हमें सुनने व कहते हुए देखने में आता

आखिर क्यों !!
हमें सुनने व कहते हुए देखने में आता है कि  शास्त्र सुनने व पढ़ने में या यूं कहलें की सत्संग सुनने में मन नहीं लगता । 
मुझे समय नहीं मिलता मैं घर के काम में व्यस्त रहता हूँ , मुझे कहते तो सभी भाई अपने लिए भी जरा वक्त निकाला करो । लेकिन आखिर एैसा क्यों होता है ?
👉 भाई सिधी बात है मन के कहे अनुसार चलने वाले का यही हाल होता है , वो अपने जीवन में कोई भी काम सही तरीके से समय पर नहीं करपाते  ,  इस प्रकार के व्यक्ति को मन के गुलाम कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । जब तक आप मन के कहे अनुसार चलोगे तो यही हश्र होगा आप अपने अच्छे जीवन को अंधेरे की ओर धकेलने में स्वयं जवाबदार हो । यह तो संसार सागर है यहाँ हर जीव किसी न किसी कारण से दु:खी है इस लिए यहां दूसरों की चिंता करने से अच्छा है अपने स्वयं को पहचानलें वर्णा रोते हुए आए हो रोते हुए इस संसार से चले जाओगे ।
👉 आपको अपना जीवन सुखी करना है मन में शांति लानी है संसार का आवागमन खत्म करना है तो आपको सुखी होने का सबसे बड़ा जर्या है आप गुरुमुख बन जाए ।
गुरूमुखी कभी भी अपने जीवन में डगमगाते नहीं वो हमेशा सत्संग सुनना , सुमिरन में बैठना ,  शास्रों को पढ़ने में रूची रखना अपनी ड्यूटी समझते हैं ।
👉 काम , क्रोध  , मोह , लोभ , लालच , आपके लिए ये मछली के जाल की तरह है इसमें आना याने अपने आपका जीवन को नष्ट करना है । अत: इन पांच इन्द्रियों से बचने का सही तरीका है ईश्वर ध्यान करें  , मन के कहे अनुसार न चलें क्योंकि मन इन इन्द्रियों का गुलाम है ओर आपको नाना प्रकार के व्यसन  , कुकर्मों में उलझाए रखेगा यह आपको अच्छे काम की तरफ जाने नहीं देगा, आप अपना ज्यादा तर समय सत्संग ( शास्रों  ) में बीताएं ।
👉 अगर आपकी संगती मनमुखी से है तो स्वभाविक है वह आपको भी अपने जैसा बनाए रखेगा ।
अत: अपनी संगती गुरूमुखी से बनाए रखे ।
आप चाहे जीतनी कोशिश करलें मक्खी चंदन या खुशबू वाली जगह पर नहीं बैठेगी क्योंकि उसको वहाँ का पता ही नहीं है और उसको गंदगी पर बैठना उसका अपना स्वभाव है , अत: इस प्रकार के व्यक्ति आपको भी अपने साथ रखने का प्रयास करेगें  । 

           राधास्वामी जी ।👏👏

©motivationl indar jeet guru # आखिर क्यों !!
हमें सुनने व कहते हुए देखने में आता है कि  शास्त्र सुनने व पढ़ने में या यूं कहलें की सत्संग सुनने में मन नहीं लगता । 
मुझे समय नहीं मिलता मैं घर के काम में व्यस्त रहता हूँ , मुझे कहते तो सभी भाई अपने लिए भी जरा वक्त निकाला करो । लेकिन आखिर एैसा क्यों होता है ?
👉 भाई सिधी बात है मन के कहे अनुसार चलने वाले का यही हाल होता है , वो अपने जीवन में कोई भी काम सही तरीके से समय पर नहीं करपाते  ,  इस प्रकार के व्यक्ति को मन के गुलाम कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । जब तक आप मन के कहे अनु
आखिर क्यों !!
हमें सुनने व कहते हुए देखने में आता है कि  शास्त्र सुनने व पढ़ने में या यूं कहलें की सत्संग सुनने में मन नहीं लगता । 
मुझे समय नहीं मिलता मैं घर के काम में व्यस्त रहता हूँ , मुझे कहते तो सभी भाई अपने लिए भी जरा वक्त निकाला करो । लेकिन आखिर एैसा क्यों होता है ?
👉 भाई सिधी बात है मन के कहे अनुसार चलने वाले का यही हाल होता है , वो अपने जीवन में कोई भी काम सही तरीके से समय पर नहीं करपाते  ,  इस प्रकार के व्यक्ति को मन के गुलाम कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । जब तक आप मन के कहे अनुसार चलोगे तो यही हश्र होगा आप अपने अच्छे जीवन को अंधेरे की ओर धकेलने में स्वयं जवाबदार हो । यह तो संसार सागर है यहाँ हर जीव किसी न किसी कारण से दु:खी है इस लिए यहां दूसरों की चिंता करने से अच्छा है अपने स्वयं को पहचानलें वर्णा रोते हुए आए हो रोते हुए इस संसार से चले जाओगे ।
👉 आपको अपना जीवन सुखी करना है मन में शांति लानी है संसार का आवागमन खत्म करना है तो आपको सुखी होने का सबसे बड़ा जर्या है आप गुरुमुख बन जाए ।
गुरूमुखी कभी भी अपने जीवन में डगमगाते नहीं वो हमेशा सत्संग सुनना , सुमिरन में बैठना ,  शास्रों को पढ़ने में रूची रखना अपनी ड्यूटी समझते हैं ।
👉 काम , क्रोध  , मोह , लोभ , लालच , आपके लिए ये मछली के जाल की तरह है इसमें आना याने अपने आपका जीवन को नष्ट करना है । अत: इन पांच इन्द्रियों से बचने का सही तरीका है ईश्वर ध्यान करें  , मन के कहे अनुसार न चलें क्योंकि मन इन इन्द्रियों का गुलाम है ओर आपको नाना प्रकार के व्यसन  , कुकर्मों में उलझाए रखेगा यह आपको अच्छे काम की तरफ जाने नहीं देगा, आप अपना ज्यादा तर समय सत्संग ( शास्रों  ) में बीताएं ।
👉 अगर आपकी संगती मनमुखी से है तो स्वभाविक है वह आपको भी अपने जैसा बनाए रखेगा ।
अत: अपनी संगती गुरूमुखी से बनाए रखे ।
आप चाहे जीतनी कोशिश करलें मक्खी चंदन या खुशबू वाली जगह पर नहीं बैठेगी क्योंकि उसको वहाँ का पता ही नहीं है और उसको गंदगी पर बैठना उसका अपना स्वभाव है , अत: इस प्रकार के व्यक्ति आपको भी अपने साथ रखने का प्रयास करेगें  । 

           राधास्वामी जी ।👏👏

©motivationl indar jeet guru # आखिर क्यों !!
हमें सुनने व कहते हुए देखने में आता है कि  शास्त्र सुनने व पढ़ने में या यूं कहलें की सत्संग सुनने में मन नहीं लगता । 
मुझे समय नहीं मिलता मैं घर के काम में व्यस्त रहता हूँ , मुझे कहते तो सभी भाई अपने लिए भी जरा वक्त निकाला करो । लेकिन आखिर एैसा क्यों होता है ?
👉 भाई सिधी बात है मन के कहे अनुसार चलने वाले का यही हाल होता है , वो अपने जीवन में कोई भी काम सही तरीके से समय पर नहीं करपाते  ,  इस प्रकार के व्यक्ति को मन के गुलाम कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । जब तक आप मन के कहे अनु