आँख बंद करके कर लेता हूँ बचपन को याद। फिर लौट आये वो सुनहरे दिन बस यही है फरियाद ॥ ना किसी चीज की चिंता,ना किसी बात का गम । माँ बाप के दिलाए खिलौने से ही ,खुश हो जाते थे हम॥ कहाँ रह गया वो दिन कहाँ रह गयी वो शाम । जब थक हार कर करते थे माँ की गोद मे आराम॥ Randomly thought of writing something but it came out naturally. #poetsofinstagram #poetry #buddingwriter #loveforwriting #aaj_ka_gyan #poemoftheday