ये बात नहीं भुलानें, ये बात है गुज़रे ज़माने की, गर्मी की छुटटी पड़ जाना, पापा को मम्मी से मनवाना, है नाना नानी के घर जाना, घर पहुँच कर नानी के, सारा ननिहाल हिला जाना, खूब खेलना मस्ती कर, थक कर मामा संग सोजाना, कोई न डाटें कोई न मारे, कहना क्या सब थे ही हमारें, पर बात यहाँ पर अटक गई है, क्या रिश्तेदारी खटक गई है? फिर हम वहाँ क्यों नहीं जातें? या, अब वो लोग नहीं बुलाते? हाँ, तूँ बड़ा हो गया है, पर, तेरा बचपन कहीं खो गया है। ©surmayeeshayar #surmayeeshayar #bachpan #nanihaal