आज फिर वही दर्द भरी दास्तान शुरू हुई जो कभी दफ़न हो गई थी वक्त के पन्नों में,,, आज हम उसी मोड़ पर आ खड़े हुए जिस मोड़ से रस्ता भूले थे,,, काश वही दिन लौट आते जब हम चंद बातों को बेफिक्री के आलम में भूल जाया करते थे,,, ज्यादा ज्ञान चंद्र बन कर भी हम कौन से कुछ उखाड़ पाए,,, नासमझी का दौर ही बेहतर था, लड़कपन की छोटी-छोटी ख्वाहिशें जीवन में उत्साह भर देती थी,,,,,, 'अजब पहेली है जिंदगी,,,,, सुलझा दो तो और उलझ जाती हैं,,,,, #अरमान_ऐ_दिल #कारवाँबनतागया #सपनोंकेरंग