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माता यशोदा अरण्यमगच्छत्, तत्र धेनव:, बालाश्च आसन्।

माता यशोदा अरण्यमगच्छत्,
तत्र धेनव:, बालाश्च आसन्।
"कान्हा-कान्हा" इति वदन्ती,
नद्यास्तीरे गोपिकाश्च अव्रजन्।

सर्वे जना: सर्वत्र अपश्यन्,
परंतु श्याम: न अत्र न तत्र ।
महानसमे स: नवनीतमखादत्,
तस्य निवासश्च न‌ अन्यत्र ।। श्याम: #yqbaba #yqdidi #yqsanskrit #vks #yqmuzaffarpur 

माता यशोदा वन को गईं लेकिन वहाँ गायें और बच्चे ही थे। फ़िर कान्हा-कान्हा पुकारतीं गोपियाँ नदी के किनारे गईं। सभी लोगों ने सभी जगह देखा लेकिन श्रीकृष्ण कहीं नहीं मिले। वह तो रसोईघर में बैठे मक्खन खा रहे‌ थे, मानो वहीं उनका निवास स्थान है।
माता यशोदा अरण्यमगच्छत्,
तत्र धेनव:, बालाश्च आसन्।
"कान्हा-कान्हा" इति वदन्ती,
नद्यास्तीरे गोपिकाश्च अव्रजन्।

सर्वे जना: सर्वत्र अपश्यन्,
परंतु श्याम: न अत्र न तत्र ।
महानसमे स: नवनीतमखादत्,
तस्य निवासश्च न‌ अन्यत्र ।। श्याम: #yqbaba #yqdidi #yqsanskrit #vks #yqmuzaffarpur 

माता यशोदा वन को गईं लेकिन वहाँ गायें और बच्चे ही थे। फ़िर कान्हा-कान्हा पुकारतीं गोपियाँ नदी के किनारे गईं। सभी लोगों ने सभी जगह देखा लेकिन श्रीकृष्ण कहीं नहीं मिले। वह तो रसोईघर में बैठे मक्खन खा रहे‌ थे, मानो वहीं उनका निवास स्थान है।