"आखिर मैं क्या हूँ" =============== वह करते थे, मुझसे बहुत प्यार .. पर! मन में उनके एक ग्लानि महसूस की थी मैने... शायद! ये ग्लानि होना स्वाभाविक था | मेरी उम्र में उनकी उम्र में जो अंतर था , वह उन्हें उनके प्यार का इजहार करने ही नहीं देता था | साथी उनको चाहिए था, पर! मेरे रूप में नहीं अपनी ही हमउम्र के रुप में | वो यहाँ तक प्यार मुझसे करते थे , पर! नजरों को चुरा कर रखते थे | मुझसे शायद कुछ कहना था, पर ! वह भी ना कह सकते थे | आखिर में क्या हूँ ? जो समझ कर भी उसे समझ पाने में असमर्थ हूँ ! वह करते थे मुझसे बहुत प्यार पर मन में उनके एक ग्लानि महसूस की थी मैने.. .| गीता शर्मा 'प्रणय' ग्लानि