फ़िदाई तेरे फ़रेब की बादा तो बनती है मजामा हो यारो का फिर तो बेहिसाब बनती है अरे ओ ना पीने वाले तू क्या जाने लाख गामो को निचोड़ने के बाद एक कतरा शराब बनती है ©shailesh pandit sarab