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ख़त्म हुए एक और रात दिसंबर की फिर हो गई सुबह खुश कि

ख़त्म हुए एक और रात दिसंबर की
फिर हो गई सुबह
खुश कितने है परिंदे चुप गए
है कहकशा

चाँद धीरे से मुस्का रहा है
आसमान मे
जैसे हर रात उस पर कोई क़र्ज़ है
उठ जाओ सोने वाले कब तक
सोते रहो गे
अजीईईईईईई 
मैंने कहा सलाम अर्ज़ है
AS SALAM U ALAI KUM

©NIKHAT الفاظ جو دل کو چھو لے
  #salam arz hai