कान्हा तेरे संग, न लागे किसी की ज़रूरत, न भाए दिखावे के जलवे, सब में झलके तेरी सूरत, मनमोहन मेरे अंतर्मन में, जो रंग तूने भर दिया, मैं मुस्काई, मन तूने सेवा भाव से भर दिया।। भक्ति रस मैं तो तेरे प्रीति के रंग में रंगी हूँ हैं कान्हा निस दिन सदैव तुम्हारी गुण गाती हूँ है कान्हा बेरंग दुनिया अब ना भाये ! श्याम तेरे रंग के सिवा मुझे कोई रंग ना समझ आये!