"थोड़े नासमझ, थोड़े नादान ही तो हैं," बच्चे हैं इन्हें रंज ओ ग़म कुछ भी नही पता, दुनिया के हर भरम से ये अनजान ही तो हैं।। खुल करके जीने दो इन्हें बचपन की शोखियां, होने को बाद में इन्हें इंसान ही तो है।। थोड़े नासमझ थोड़े नादान ही तो हैं।। नादान हो तो हैं।।