जायज़ है जो मिले रूह को सूकुन तो हर गुनाह जायज़ है हकीकत पर पर्दा ,ख्वाबों के वहम भी जायज़ है फरेबी लकीरों पर, बहुत आज़मायी तकदीर हमने। जो करके आज़मायिश भी कुछ न मिला, तो बन जाना फकीर भी जायज़ है।। टुटे जो ख्वाब तो बहुत किया शोर हमने, मगर टुटे दिल का सबब किसे कहे। जो न हो लफज़ो के बस मे बयान करना, तो खुद का रहना खामोश भी जायज़ है।। ख्वाबों की लगन मे, बनाया नींदो का मखौल हमने। जो जी कर ख्वाब भी नींद न आएे, तो अधुरे ख्वाबो की ख़लिश भी जायज़ है।। ख़ाक छान ली हमने महखानों की, लड़खड़ाऐ होश तो फिर भी नही। मिले गर मदहोशी साँसो मे, तो जीने की लत भी जायज़ है।। जो मिले रूह को सूकुन तो हर गुनाह जायज़ है हकीकत पर पर्दा ,ख्वाबों के वहम भी जायज़ है (kuldeep tomar ) #feather #जायज़ है