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समुद्री सीप में मासूमियत से जो बच्ची पानी पीती है।

समुद्री सीप में मासूमियत से जो बच्ची पानी पीती है।
वो कच्ची कली कल बनी, मोमफली तो पानी पिलाती है।।
खैरियत है फिर भी जो मायूसी को किनारे लगा पाती है।
गैरियत है जो दकियानूसी के सहारे ही अश्क गिरा पाती है।।
सहूलियत होगी,जो समाज के हाथों में कठपुतली बन ना पाई है।
मालियत लेगी,जो अपने पैरों पर खड़े होकर सुतली में पिरोए आई है।। 🌝प्रतियोगिता-117🌝
 
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌹"मासूमियत"🌹

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या 
केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
समुद्री सीप में मासूमियत से जो बच्ची पानी पीती है।
वो कच्ची कली कल बनी, मोमफली तो पानी पिलाती है।।
खैरियत है फिर भी जो मायूसी को किनारे लगा पाती है।
गैरियत है जो दकियानूसी के सहारे ही अश्क गिरा पाती है।।
सहूलियत होगी,जो समाज के हाथों में कठपुतली बन ना पाई है।
मालियत लेगी,जो अपने पैरों पर खड़े होकर सुतली में पिरोए आई है।। 🌝प्रतियोगिता-117🌝
 
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केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I
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साहस

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