आखिर कब तक कोशिशें इंतकाम करते रहें रुख मोड़ के आशिकी का मुकम्मल ऐतराज क्यों ना करें इश्क का मौसम भी बदल गया देखो घनघोर बादल की तरह बरस गया हैं,,,,, ठंडी सुहानी सुबह वो शाम रंगीन हो गई ख्यालों में नमी सिमट गयी सांसों में गरमी बढ़ गयी,,, होंटो में थरथराट बातों में सनसनाहट सी हो गई,,,,,, एहसासों का कारवा निकल पड़ा एक नये सफर में