मैं आलसी हूँ बहुत आलसी
बारिश की पहली बूँद जितना
बसंत की पहली फुहार जितना
इतना आलसी कि प्रेम में डूबी तुम
और तुम्हारी आँखों से लबों तक का सफर
मैंने न जाने कितने दिनों में या यूं कहूँ वर्षों में तय कर पाया
मैं आलसी हूँ बहुत आलसी
इतना अलसी कि मेज़ पर रखी एक कप चाय #Poetry#Life#Love#Hindi#Wo#poem#Life_experience#ILoveCricket