सड़क की पगडंडी पर चलते चलते रेल की पटरी पर नज़र क्या पड़ी, मालूम तुम याद आ गई ! हम दोनों भी तो रेल की इस पटरी जैसे है साथ, इतने की एक के बिना दूसरे का वजूद नहीं, और, मजबूर इतने की करीब होने का रकीब नहीं साथ, इतने की हर पल दूसरे को देखते हैं, और, मजबूर इतने की लम्हों में मिलना होता है वो भी किसी रेल का रास्ता बदलने की लिए, ख्वाहिश है मेरी की अब कोई भी स्टेशन न आए इस अधूरे साथ के साथ ये वाहिद सफर चलता जाए ।। #hindi #poetry #life #love #ishq #prem #kavita