आशिक तेरे होगे हजार, पर उनमे से मै हू नही। मिश्री मे घुले चंद लफ्जो पर फिसल जाऊ , ऐसी मै जाहिल हू नही। तुझे तो कदर ही ना थी मेरी, ये जानते हुए भी तुझ पर ही मरू , ऐसी मै पागल हू नही। जा पूछ उनसे मेरी कदर जिनको इस जिंदगी मे हासिल मै हू नही। @curious_poetry_( jigyasha ) meri kadar