ये अंतर्मन का कोलाहल, कुछ बाहर की खामोशियाँ, कर्म को बहती चेतना, कुछ ज़िन्दगी की आपबीतीयाँ। कोई आहट मुझको कभी आहत करने को आ जाती है, कुछ लम्हे सुकूँ भरे बीते, फिर रात काली छा जाती है। मैं हँस देता हूँ जैसे अक्सर खुद की नादानियों पर, ठीक वैसे ही हँसता हूँ, ज़िन्दगी की कहानियों पर। यूँ खूब सवाल आते हैं, हर मोड़ पर मेरी राह में, क्या किया, जो निकला था कुछ पाने की चाह में। ज़िन्दगी तेरा नमन मैं डरता नहीं अब डट जाता हूँ, कुछ हँसी बिखेर के, खुद में इक गर्व भर लाता हूँ। क्योंकि डरना मेरा काम नहीं, ये हँसी मेरा हथियार है, मैं जवाब देने जाऊँगा, क्योंकि सवाल ही मेरा यार है। #YQPoetry #poetrylights #bestyqhindiquotes #YQDidi #आपबीतियां #inner_feeling #fighting_spirit #poetrylights