जानेमन *********** आरज़ू-ए-वस्ल की है जानेमन, बस बंदगी हो, ना ज़मानत हो, एहसास-ए-खास हम हो , यूँ ही बस मोहब्बत की इनायत हो, तुझसे ही मोहब्बत का हर रंग जवां, तुझसे ही शिकवा-ए-बुतां, प्यार का ही आलम हो हर सूं , राह-ए-इश्क़ में बस सदाकत हो। #अपनी_ज़बान #collabwith_अपनी_ज़बान #सब्सक्राइबर_अपनी_ज़बान #अपनी_ज़बान_sc_3 #जानेमन