बारहखड़ी की कविता अ से अनार आ से आम जग में तुम करो नाम। इ से इमली ई से ईख बड़ों से मिलती है सीख। उ से उल्लू ऊ से ऊन बच्चों तुम नहीं बनो दून। ऋ से तो होता है ऋषि भारत के लोग करते कृषि। ए से एड़ी ऐ से ऐनक दादाजी से घर में रौनक। ओ से ओखली औ से औरत छोटे बड़ों से करो मोहब्बत। अं से अंगूर अः से खाली बच्चों नहीं करो काम जाली। मो- ज़मील अंधराठाढ़ी, मधुबनी (बिहार) मौलिक, स्वरचित अप्रकाशित कविता। मो- 9065328412 पिन कोड- 847401 ©Jamil Khan बच्चों के लिए उपयोगी कविता। #OneSeason